मंदिर से मन भर जाता है
तन की फिक्र करेगा कौन
नौकरी का नौटंकी अलग से
खालीपन को भरेगा कौन
युवा ऊर्जा बिखरा हुआ है
ये संकट भी हरेगा कौन
बहती रहे बातों की झरना
मैं जानता हूं कि मरेगा कौन
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें