सोमवार, 28 अक्टूबर 2024

सुध खोकर जो सुख पाया

 


नशे में चूर नशीली आँखें 

मदमस्त मादक काया


कहा- चलो रसपान करो 

उसने फिर से उकसाया


तन में तैरकर तृप्त हुआ मैं 

मेरा मन था कुम्हलाया 


बता नहीं सकता वो मैं  

सुध खोकर जो सुख पाया

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें