नशे में चूर नशीली आँखें
मदमस्त मादक काया
कहा- चलो रसपान करो
उसने फिर से उकसाया
तन में तैरकर तृप्त हुआ मैं
मेरा मन था कुम्हलाया
बता नहीं सकता वो मैं
सुध खोकर जो सुख पाया
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