बुधवार, 30 अक्टूबर 2024

खुली हवा दो प्रेमियों को

 


इतना बंधन ठीक नहीं है 

खुली हवा दो प्रेमियों को


हर दस में नौ पोर्न देख रहे 

दूर करो कुछ खामियों को


हर शहर में चकला खोलो 

तोड़ो भी कुछ बेड़ियों को


यौन शिक्षा अहम है कितना 

सिखाओ बेटे-बेटियों को 

बचा लो मासूम बेटियों को

 


हर दिन हो रहे नब्बे रेप 

नोंच रहे हैं जिस्मों को


रेप से उनका रूह भी कांपे 

कड़े दंड दो दोषियों को 


या तो बढ़िया योजना लाओ  

सेक्स परोसो भेड़ियों को 


अब तो देखो हद हो गई 

बचा लो मासूम बेटियों को 

सेक्स में अहम लिबिडो लेवल

 


सेक्स में अहम लिबिडो लेवल 

ये सिगमंड की बातें नहीं केवल 


शरीर शास्त्र का वृहद् विषय ये 

काम शास्त्र का अपना एंगल


गुप्त कहकर क्यों गुपचुप बातें  

सेक्स की बात पर दोगला दंगल 


अगुवे लोगों का पिछलग्गू रवैया  

कहो कैसे होगा सबका मंगल 

बस दो मीठे उच्चारण ही

 


जरूरी नहीं कोई कारण ही

मन छेड़ दो कभी अकारण ही


चरम सुख और परम सुख है 

दाम्पत्य द्वंद्व का निवारण ही


पीठ थपथपा दो किसी बात पर

बस यूँ ही ऐसे साधारण ही  


कभी-कभी जादुई बातें 

बस दो मीठे उच्चारण ही

तन की फिक्र करेगा कौन

 


मंदिर से मन भर जाता है

तन की फिक्र करेगा कौन


नौकरी का नौटंकी अलग से

खालीपन को भरेगा कौन


युवा ऊर्जा बिखरा हुआ है

ये संकट भी हरेगा कौन


बहती रहे बातों की झरना

मैं जानता हूं कि मरेगा कौन

पश्चिम की ओर जाना होगा

 


पूरब से जब पूर्ति न हो

पश्चिम की ओर जाना होगा


मांग-पूर्ति का यही नियम है

जो मांगें हैं वो लाना होगा


पोर्न में पहला पायदान क्यों

ये भी जरा बताना होगा


जवाबदेहिता का सिद्धांत है ये

तुम्हें ही सब समझाना होगा

कोठे में सब टूटा जात

 


कौन डाल है कौन है पात 

कोठे में सब टूटा जात 


आज घड़ी है गिनती कर लो

तुमने गुजारी कितनी रात


मंदिर-मस्जिद धागा खोले 

कोठे ने ही जोड़ी बात


सच कहूँ तो बुरा लगेगा 

कोई मारा जैसे जमकर लात 

जहाँ जिस्मानी कैनवास

 


वो जिस्म है तो क्या हुआ 

कोई नहीं है जिंदा लाश 


हाँ जिस्म में भी होता है 

कोई जादुई एहसास


रूहानी बातों पर भी तेरे 

मैं करता हूँ विश्वास 


पर रूह भी वहीं उकेरोगे तुम

जहाँ जिस्मानी कैनवास

वासना है उपासना

 


केवल लड़की फांसना 

ऐसा तो नहीं है वासना


पत्थर को मूरत बनाने  

पड़ता है बहुत तराशना


भाव भरके कभी उच्चतम 

वासना को तलाशना 


गहराई तक पहुँच गए तो 

वासना है उपासना

प्रेयसी का पेनिस प्यार

 


वैसे तो केवल भोग तक 

सिमटने लगा है संसार


भोगो और भागो का 

बड़ा ही विस्फोटक विचार 


भग का भूखा मैं भी 

अब सीख रहा हूँ लिंगाचार 


क्योंकि मुझे भी समझ आ गया 

प्रेयसी का पेनिस प्यार

संभोग भी एक साधना है

 


संभोग भी एक साधना है 

कर लो आज विचार 


कैसे कितना भोगना है 

इसका भी शिष्टाचार 


जिसने खुद को साधा नहीं 

करता है बलात्कार


संतुलन कायम रहे 

और संतुलित संसार 

कामना के कुहासा को

 


कैसे मिटाऊं मैं चिंतित था 

कामना के कुहासा को


प्यार से कोई प्यार परोस दे 

कोई समझे प्रेम अभिलाषा को  


एक दिन मुझसे ऐसे मिली वो 

दरिया मिल गया प्यासा को 


जिस्म की भाषा जिस्म ही जाने 

जवाब मिल गया जिज्ञासा को

सोमवार, 28 अक्टूबर 2024

सुध खोकर जो सुख पाया

 


नशे में चूर नशीली आँखें 

मदमस्त मादक काया


कहा- चलो रसपान करो 

उसने फिर से उकसाया


तन में तैरकर तृप्त हुआ मैं 

मेरा मन था कुम्हलाया 


बता नहीं सकता वो मैं  

सुध खोकर जो सुख पाया

दो जिस्मों का प्यार है

 


रूह से कोई राब्ता नहीं 

और न ही रूह से रार है 


जिस्मानी सौदा है ये 

दो जिस्मों का प्यार है 


जिस्म मिल जाए उतना काफी

जिस्म पे जां निसार है 


रूह मिले तो और भी अच्छा 

रूह से कहाँ तकरार है

सुख लघु और दीर्घ प्रयास

 


सलामत रहे सबका सहवास 

बिन सहवास है सब बकवास 


जो तरसा है उससे पूछो 

विरह वेदना का एहसास


क्षण भर सुख के सेक्स में 

चलना पड़ता मील पचास 


सुख लघु और दीर्घ प्रयास

फिर भी सबका यही अरदास

नीचे का पट खोल प्रिये

 


मन का प्रीत अनमोल मैं मानूं 

कुछ तन का प्यार भी तोल प्रिये 


चुंबन से बस काम चले न 

नीचे का पट खोल प्रिये 


खलनायक ही खड़ा हुआ तो 

अब क्या बोलूं बोल प्रिये


जिस्म से जिस्म मिलने दे  

रूह के राह में झोल प्रिये

कुछ कहतीं हैं टांग भर दो

 


सुराख़ भरने की सजा है 

कुछ कहतीं हैं मांग भर दो


नौ महीने तक नशे में रहूँ 

सुराख़ में तगड़ा भांग भर दो


मांग भरने की मांग मत करना  

कुछ कहतीं हैं टांग भर दो 


लंड घुसते ही मुंह से निकले 

उह-आह का बांग भर दो

धीरे कर या जोर से कर

 


धीरे कर या जोर से कर

चाहे तो पुरजोर से कर 


भीग जाए तन-मन ऐसा 

सेज में सराबोर से कर 


तुझे मिला तो तेरी मर्जी 

शांति से या शोर से कर 


बड़े मजे या बोर से कर

तू हवसी या ढोर से कर 

हो सकता है मुंह में ले ले

 


हो सकता है मुंह में ले ले 

जैसे खाती है वो केले 


या वो तुमसे चटवाएगी 

कड़वा किस्सा तू भी झेले 


या तो वो पेलेगी तुमको 

या तो उसको तू पेले 


गेंद तेरे ही पाले में है 

तू जो चाहे जैसा खेले

गर्भ समझो गर्भाशय समझो

 


इतना ही पर्याप्त नहीं है 

कुआँ और जलाशय समझो


मत रहो कूपमंडूक बनकर

अंड समझो अंडाशय समझो 


सेक्स से नव सृजन होता है  

गर्भ समझो गर्भाशय समझो


सेक्स में खुला विचार जरूरी  

कहने का कुछ आशय समझो

व्यष्टि बनेगा समष्टि

 


बातें चाहे जो भी कर ले 

तुझे भी चाहिए संतुष्टि


गले लटका है मौत का फन 

होगा तेरा भी अंत्येष्टि 


मन बहलाने स्वर्ग सीढ़ी है 

कर तू पहले तन का तुष्टि 


कोई अकेला कैसे जिएगा  

व्यष्टि बनेगा समष्टि 

मैथुनमय है पूरी सृष्टि

 


निर्वस्त्र होकर देखो कभी 

मैथुनमय है पूरी सृष्टि


निसर्ग सदा सहवास में है  

धरा से मिलने होती वृष्टि


सारे ग्रह का आपसी संबंध

आख़िर कुछ करता है पुष्टि


निर्वसन सब पशु-पक्षी हैं 

क्यों कुंठित है तेरी दृष्टि

मर्यादा की वकालत है



कुछ तो गलत है 

क्यों ऐसी हालत है 


सेक्स के मामले में 

ज्यादा जहालत है


दोगलेपन की हद होती है 

सेक्स क्यों ज़लालत है 


सेक्स की अदालत में 

मर्यादा की वकालत है

सोमवार, 21 अक्टूबर 2024

बाहर बस मर्यादा है

 


जांघों के बीच समस्या कम

कानों के बीच ज्यादा है 


गुप्त रोगों की आड़ में 

बहुत लोगों को फ़ायदा है 


सेक्स दुकान चलता रहे 

इनका यही इरादा है


हमाम में सब नंगे हैं 

बाहर बस मर्यादा है 

यौन शिक्षा अभाव के चलते

 


यौन शिक्षा अभाव के चलते

हर जगह यही कहानी है 


यौन इच्छा दबाने की 

जब हमने की मनमानी है


आँख सेंक रहे युवा साथी

उन्हें यौन सुख भी तो पानी है


हम पोर्न देखने में कितना आगे 

ये किस बात की निशानी है

चूची चाहनेवाला है

 


आँखों से ही रेप कर देगा 

वो ऐसे देखने वाला है


बस में, ट्रेन में, हर सफ़र में 

आँख सेंकनेवाला है  


चुंबन का दीवाना है वो 

चूची चाहनेवाला है 


इतना घटिया कैसे बना वो

ये विषय भी सोचने वाला है

शुक्राणु शास्त्र के मर्मज्ञ बनो

 


शुक्राणु शास्त्र के मर्मज्ञ बनो 

पेनिस पुराण भी पढ़ना होगा


योनि आयाम को भेदने खातिर

अपना रास्ता गढ़ना होगा 


हर दस में नौ पश्चिमवादी

उसी नाव पे चढ़ना होगा 


इधर रहे तो रह जाएंगे 

एक कदम आगे बढ़ना होगा 

खड़ा हो गया खलनायक अब

 


बिस्तर पे जो बाला है

वो पूरी मधुशाला है 


मदमाती यौवन ने मुझको 

आगोश में ले डाला है


ऐसा चिपका होंठ चुंबन से 

जड़ गया जुबां पे ताला है 


खड़ा हो गया खलनायक अब 

कुछ कांड करने वाला है

भग की भजन में आज फिर

 


भग का भक्त मतवाला है

वो भक्ति भोगनेवाला है 


उसे बिल्कुल मतलब नहीं  

गोरा है या काला है


मस्त रहता है मस्ती में वो 

चिर सोम पी डाला है 


भग की भजन में आज फिर 

पूरी रात बिताने वाला है

गिर जाए तो गाज है

 


उठ जाए तो ताज है 

गिर जाए तो गाज है 


दब जाए तो राज है 

खुल जाए तो खाज है 


करोगे तो नाज है 

कहोगे तो लाज है 


मैं सोचकर हैरान हूँ 

बड़ा गजब समाज है 

सबका यही सरताज है

 


रहता है ये नीचे मगर  

ऊपर करता राज है 


सदैव घूमता सर पर ही 

सबका यही सरताज है


दुनिया का संगीत निछावर  

यही सुर यही साज है


जन-जन की पुकार है ये 

जन-जन की आवाज है

शुक्रवार, 18 अक्टूबर 2024

युगों-युगों तक योनि-योनि

 


युगों-युगों तक योनि-योनि 

परम तेज प्रभाव 


चक्रवर्ती भी चक्करघिन्नी 

इसका यही स्वभाव 


ढह गए सारे राजपाठ 

इसका गजब दबाव 


मर जाएंगे लोग सारे 

इसका अगर अभाव 

यौन यज्ञ में है जरूरी, करते रहो होम

 


यौन यज्ञ में है जरूरी 

करते रहो होम 


मंगल बुध या गुरु शुक्र हो 

शनि रवि या सोम


हर जगह बस योनि-योनि 

लंदन पेरिस रोम 


सुरक्षित यौन जरूरी है 

साथ रखो कंडोम

यौन में यथावत रहो

 


चरम सुख पाना है तो 

किसी उलझन में मत रहो


आज नहीं कल पा जाओगे  

रति क्रिया में रत रहो


बार-बार विचार न बदलो 

सही रहो या गलत रहो 


वो मिलेगा सहवास से ही

यौन में यथावत रहो

काम के संग हो जाम

 


काम करते थक गए 

एक और करो काम 


थकान मिटाने की दवा है 

कामदेव का नाम  


काम की ही कामना है 

मिले चिर विश्राम 


हो सुरा संग सुंदरी 

काम के संग हो जाम 

भग की करो तलाश

 


भग की भक्ति में शक्ति है 

भोगो भोग विलास 


ऐसे क्यों फिरते रहते हो 

बनकर जिंदा लाश 


जो भोगी हैं भाग्यवान हैं 

भग की करो तलाश 


मनुज जनम मिला है भग से 

क्यों भोगें वनवास

करो योनि का ध्यान

 


यौन मुद्रा में बैठो कभी 

करो योनि का ध्यान 


चिर शांति मिल जाएगा 

कहता है विज्ञान


महिमामंडन कितना करूँ 

योनि महिमा महान 


आओ मिलकर आज करें 

योनि का गुणगान 

बिस्तर ही विस्तार है

 


बिस्तर ही विस्तार है 

इस दुनिया का सार है 


बिस्तर के बिन बावरे 

सुना घर संसार है


बिस्तर गरम करने का 

विश्व व्यापी व्यापार है  


यौनासन ही योगासन

बाकी सब बेकार है 

साक्षी है ये गरम बिस्तर

 


अब तक है आँखों में मंजर 

कैसे घुसा अंदर खंजर 


चिर गया सब बाहर-भीतर

हरा हुआ मन धरती बंजर 


हो गया सब कुछ तितर-बितर 

तकिया चादर इधर-उधर


कितना आनंद इससे पूछो  

साक्षी है ये गरम बिस्तर 

लंड में एक तूफान उठा फिर

 


योनि उत्तम मिल गया तो 

पुण्य फलीभूत हो गया 


तन का तनाव शिथिल हुआ 

मन का तनाव भी खो गया 


लंड में एक तूफान उठा फिर  

बाद में बिल्कुल सो गया


परमानंद है यौनानंद

जिस्म से रूह तक भिगो गया  

बुधवार, 16 अक्टूबर 2024

साधना है संभोग में

 


यहाँ नहीं उन्मुक्त जीवन 

बंधन बहुत है भोग में 


लोग फंसे हैं बीपी शुगर 

और सैकड़ों रोग में


कैसे बताऊँ इन लोगों को  

साधना है संभोग में 


स्वास्थ्य का रहस्य है 

यौन-क्रिया यौन-योग में 

मैं कहूँगा चल प्रिये

 


करते-करते योनि-योनि 

मर जाऊंगा कल प्रिये 


पिला देना आकर तुम 

अपने अधरों का जल प्रिये 


मरने से पहले आ जाओ तो 

मैं कहूँगा चल प्रिये 


अंतिम सेज पर सो जाएंगे 

एक यही है हल प्रिये 

यौन सुख समाधि है, यौन क्रिया मेरा ध्यान है

 


चौरासी लाख योनियों में 

मनुज योनि महान है 


इसलिए तेरी योनि का

दिल में बहुत सम्मान है 


यौन सुख समाधि है  

यौन क्रिया मेरा ध्यान है 


योनि-योनि की माला जपूँ 

ये मेरा योनि ज्ञान है 

यौन यज्ञ में आहुति देंगे, जब हवन कुंड तैयार है

 


यौन यज्ञ में आहुति देंगे 

जब हवन कुंड तैयार है 


होंठों का रसपान करेंगे 

अधरामृत स्वीकार है


करा दो प्रिये दुग्ध अभिषेक 

ये तेरा परम उपकार है


पा जाऊं कैवल्य मुक्ति 

बस यौन सुख आधार है 

मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024

सलवार भी उठाओ कभी, सुराख़ भी दिखाओ कभी

 


सलवार भी उठाओ कभी 

सुराख़ भी दिखाओ कभी 


बहुत बीता ख़्वाब की रात 

हक़ीकत में भी आओ कभी 


मुंतजिर हूँ तेरे दीदार का 

होंठों की प्यास बुझाओ कभी 


सुराख़ भरने का जिम्मा सौंपकर

बस निढाल सो जाओ कभी 

नाज तेरी नक्काशी पर, पीछे नितंब भी न्यारा है

 


देह गजब है मांसल-मांसल 

उभरा उरोज भी प्यारा है 


नाज तेरी नक्काशी पर 

पीछे नितंब भी न्यारा है


आँखों में मादकता है 

मुझको नशा तुम्हारा है  


कब मिलोगी बताओ प्रिये 

होता नहीं गुजारा है 

कमीज क्या मिलाना समीज से, जिस्म से जिस्म मिलने दो

 


कमीज क्या मिलाना समीज से 

जिस्म से जिस्म मिलने दो 


तन पर एक भी कपड़ा न हो 

नंगे बदन को खिलने दो 


कई जख्म है अंदर प्रिये 

सेक्स की सुई से सिलने दो 


ऊपर चढ़ जब झटके दूँ तो 

स्तनों को हिलने दो 

सपनों में सेक्स का डोज है

 


कुर्ती के भीतर जो उरोज है 

उसे देखने की तमन्ना रोज है 


मिलना होता है ख्वाबों में 

सपनों में सेक्स का डोज है


मिस करता हूँ यार तुम्हें 

क्या गजब डॉगी पोज है


और भी कई डिफरेंट स्टाइल 

जो दिल में जमींदोज है

जाति बंधन से बिखरा प्यार

 


जाति बंधन से बिखरा प्यार 

आज जरा सा रो लूं मैं 


मीठा अनुभव हुआ नहीं तो 

मिश्री कहाँ से घोलूं मैं 


प्यार के लिए तरस गया तो 

प्यार से कहाँ बोलूं मैं 


समाज की दकियानूसी का 

कहो तो परतें खोलूं मैं 

जिस्म भी जागीर है तेरा, ये जागीर यूँ जलाना मत

 


किसी की बातों में आना मत

किसी की बातों में जाना मत 


सेक्स से ऐसी क्या है लज्जा  

ये बात करते शर्माना मत 


जिस्म से रहो लिपटकर 

रूह में धोखा खाना मत


जिस्म भी जागीर है तेरा

ये जागीर यूँ जलाना मत 

सुराख़ भरण के पुनीत काम में

 


सिर्फ सांस लेना जीवन नहीं 

केवल भारी चूक है


तुम कहाँ उलझे हो 

इसी बात का दुःख है 


सुराख़ भरण के पुनीत काम में 

मानो चरम सुख है


चार अंगुल ही भरना है 

इतना ही परम भूख है

रूह गया रूह अफ़जा लेने

 


रूह रूह करते मिलेगा क्या 

हो गया सत्यानाश तो


रूह के चक्कर में कहीं 

बन गया जिंदा लाश तो 


रूह के ख़्वाब का क्या करोगे 

जिस्म है अगर पास तो 


रूह गया रूह अफ़जा लेने

जिस्म ही है ख़ास तो 

रूहानी नहीं जिस्मानी सुनो

 


एक मनोहर कहानी सुनो 

रूहानी नहीं जिस्मानी सुनो


साँस बढ़ गई सुराख़ देखकर 

नीचे से रिसता पानी सुनो 


तुम्हारी भी वही दास्ताँ है 

आज मेरी जुबानी सुनो


बूढ़ों को मुबारक बाल कथा  

क्या कहता जवानी सुनो

रविवार, 13 अक्टूबर 2024

चार इंच की सुराख़ पर, चार अंगुल की बात करूँ

 


सुबह करूँ शाम करूँ 

दिन करूँ कि रात करूँ 


चार इंच की सुराख़ पर 

चार अंगुल की बात करूँ


किसी हसीन मंजर का  

रोज खयालात करूँ 


शब्दों में ही झलके वो 

कहो तो करामात करूँ

चार इंच की सुराख़ की, कहानी गहरी खाई है

 


कि जिस्म ही तिलिस्म है 

ये रूह तो केवल राई है


चार इंच की सुराख़ की 

कहानी गहरी खाई है


ये खुद ही पूरी दुनिया है  

इसमें ही दुनिया समाई है 


मेरी कविता भी तो तुमसे 

कुछ यही तो कहने आई है 

ध्यानमग्न हो जाओ तुम, जिस्म मिलन की नाद में

 


जिस्म का जंग जीत लो पहले 

रूह जीत लेना बाद में 


रूह का माला फेरोगे तो 

मर जाओगे याद में 


रूह आगे या जिस्म आगे 

मत उलझो विवाद में 


ध्यानमग्न हो जाओ तुम 

जिस्म मिलन की नाद में

ये चार इंच की चांदनी है

 


जमकर इसकी धाक है 

बाकी सब तो खाक है 


उभरे हुए उरोज पर 

धंस गई मेरी आँख है 


मैं कहता हूँ तुम भी आओ 

इस रास्ते की साख है 


ये चार इंच की चांदनी है 

ये चार इंच की सुराख़ है

सेज पर सुंदर सुराख़ है

 

यही पर्यटन पाक है 

मंसूबा भले नापाक है 


नहीं जाना ईरान मुझे 

नहीं जाना इराक है 


कश्मीर का करिश्मा भी 

इसमें ही लद्दाख है 


अंतर्यात्रा  पर निकला हूँ 

सेज पर सुंदर सुराख़ है

शनिवार, 12 अक्टूबर 2024

असली मजा सुराख़ है

 


मत कहना मजाक है 

असली मजा सुराख़ है 


कोयल का जमाना गया 

अब जमाना काक है 


आई लव यू तरकीब है 

ये तीन पत्तों का ढाक है 


खरा सोना है जिस्म तेरा  

रूह की बातें राख है 

जिस्म का ही धाक है

 


प्यार कहाँ पाक है 

सबके इरादे नापाक है  


तेरा रूह गया तेल लेने 

जिस्म का ही धाक है 


रूह का झुनझुना एक-दो 

जिस्म का झाँझ लाख है  


मैं क्रूर सच कह रहा 

अरे तू क्यों अवाक है 

जिस्म में जो मजा है जानी

 


यूँ तो वैसे मुंहफट हूँ 

और करतूतें नापाक है  


अपने मंसूबे पर कायम हूँ 

मंसूबा शर्मनाक है 


आदत से मजबूर हूँ 

मिज़ाज भी मुश्ताक़ है


जिस्म में जो मजा है जानी 

वो रूह में कहाँ खाक है

अब केवल जिस्मानी वास्ता, रूह का राब्ता राख़ में है

 


श्वान जैसा ही  घ्राण शक्ति

अब इंसानों के नाक में है


मांसल-मांसल कच्चा मांस

रोज रात ख़ुराक में है


कितना मजा ये तू भी जाने 

छप छप छपाक में है


अब केवल जिस्मानी वास्ता 

रूह का राब्ता राख़ में है  

सलवार के भीतर सुराख़ में है

 


कुंदन की कुदृष्टि तो

सलवार के भीतर सुराख़ में है


आँखें सेंक रहा उरोज से 

कहाँ नजर पोशाक में है 


कैसे भी कुछ जतन करके

वहां पहुंचने की फ़िराक में है


सूखे सुराख़ से सुख लेकर

गीला करने के ताक में है


शुक्रवार, 11 अक्टूबर 2024

ये दरार जो जांघों के बीच है

 


कोई दिल लगाता है बस 

दरार के लिए 


कोई पागल बना फिरता है 

प्यार के लिए


ये दरार जो जांघों के बीच है

करार के लिए 


चाहो तो उपयोग कर लो 

उद्धार के लिए

और झांकता स्तन है



तेरा तंग वसन है 

और झांकता स्तन है 


घूर-घूर के देखना भी 

मेरा एक व्यसन है


देखकर मादक रूप तेरा 

विचलित मेरा मन है 


बना गया मतवाला मुझे 

तेरे यौवन का दर्शन है

सेक्स को लेकर सैकड़ों भ्रांति



सेक्स को लेकर सैकड़ों भ्रांति 

भ्रम-यथार्थ में भेद है


यौन कला पर सहमत सारे 

क्रिया पर मतभेद है


हमने इसे ब्लू बनाया  

मामला साफ़ सफ़ेद है


और कितना गुप्त रखेंगे 

इसी बात का खेद है  

भग में है भगवान



भोग करो फिर भक्ति जैसा 

भग में है भगवान 


फ़रिश्ता तो तुम बन नहीं सकते 

बने रहो इंसान 


सेक्स ही क्यों बना हुआ है 

इतना गुप्त ज्ञान 


अरे यौन शिक्षा से इस धरती पर 

कम होंगे हैवान

औरत फ़कत औरत नहीं



वो जिस्म से ज्यादा कुछ नहीं 

चल बात भी स्वीकार है 


लेकिन उसके भी तो कुछ  

जिस्मानी अधिकार है 


तेरे घर की रोशन बने वो 

उसे प्यार की दरकार है


औरत फ़कत औरत नहीं 

पूरे घर की वो सरकार है

बीबी बो दिए बिस्तर पर


देह फ़कत कोई चीज नहीं है

साड़ी सलवार समीज नहीं है 


बीबी बो दिए बिस्तर पर 

ये जिस्म ऐसा बीज नहीं है


ससुराल से लाया सामान नहीं 

तेरे घर का टीवी फ्रीज नहीं है 


तन की भी कुछ तमन्नाएँ हैं

इतना भी तुम्हें तमीज नहीं है 

जिस्मानी प्रत्याशा समझो



जिस्म जैसा सलूक करो पर 

जिस्मानी प्रत्याशा समझो


ये अच्छी बात नहीं कि उनको 

फ़कत एक तमाशा समझो


मैं कह रहा हूँ कम मगर 

समझने को बेतहाशा समझो 


हमसफ़र है वो हमसाया है 

हमदम का हताशा समझो

बुधवार, 9 अक्टूबर 2024

चारपाई का चौसर जानो



चारपाई का चौसर जानो 

फेंकना कैसे पासा समझो 


अतृप्त हैं अस्सी फीसदी 

नारियों की निराशा समझो


कहतीं कोई नहीं हैं लेकिन 

उनके मन की आशा समझो  


ये बदमिज़ाज है बिस्तर पर कि  

बदन को तुम बताशा समझो 

योनि की अभिलाषा समझो



भग समझो भगनासा समझो

कम नहीं अच्छा खासा समझो 


काम-कला में निपुण हो जाओ 

तन का पूरा तमाशा समझो 


सेक्स की अकुलाहट त्यागो 

योनि की अभिलाषा समझो


आलिंगन का आनंद पहले 

बाद में भग की भाषा समझो

फिर कहता योनि शास्त्र है- अपना सख्त शस्त्र निकालो



काम के पहले क्रीड़ा करो 

फोरप्ले की आदत पालो 


चुंबन सबसे ज्यादा जरूरी 

कभी-कभी तो ऊँगली डालो


योनि का संविधान कहे कि 

गीला हुआ फिर गले लगालो 


फिर कहता योनि शास्त्र है- 

अपना सख्त शस्त्र निकालो

फ्रॉक के भीतर जो छुपा हुआ छेद है



फ्रॉक के भीतर जो 

छुपा हुआ छेद है  


योनि संविधान का 

ये प्रथम अनुच्छेद है


उभरा हुआ उरोज तो

एक अलग परिच्छेद है 


और पूरा मादक यौवन  

अपने आप में ही वेद है

सोमवार, 7 अक्टूबर 2024

नंगा नाचते हुए भी सोच लेते हैं संस्कृति पढ़ाएंगे


नंगे लोगों की मंसूबा है कि नई नदी बनाएंगे

ऐसी खास नदी जिसमें कपड़ा पहन नहाएंगे


नीति नियम कायदे कानून सिर्फ हमारे लिए

ये लोग हर बात की पहले धज्जियां उड़ाएंगे


कैसे जी लेते हैं इतना दोगला बनकर ये लोग

ज़ख्म देंगे खुद और खुद ही मलहम लगाएंगे


कहां से उतरते हैं ऐसे नेक इरादे इनके मन में

नंगा नाचते हुए भी सोच लेते हैं संस्कृति पढ़ाएंगे