बदनमय बिस्तर कुछ बात बोलता है
ख़ामोशी टूटी तो पूरी रात बोलता है
मन भी मिले और मिज़ाज भी तो
चरम सुख की औकात बोलता है
बोल उठता है पलंग भी चर-चर
सेक्स में गति अनुपात बोलता है
हसीन मंजर देख गूंगा बोल उठे
सुराख़ देखकर ज़ज्बात बोलता है
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें