शुक्रवार, 1 नवंबर 2024

सुराख़ देखकर ज़ज्बात बोलता है

 


बदनमय बिस्तर कुछ बात बोलता है 

ख़ामोशी टूटी तो पूरी रात बोलता है


मन भी मिले और मिज़ाज भी तो 

चरम सुख की औकात बोलता है


बोल उठता है पलंग भी चर-चर 

सेक्स में गति अनुपात बोलता है    


हसीन मंजर देख गूंगा बोल उठे

सुराख़ देखकर ज़ज्बात बोलता है

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