खुले दिमाग से खेल समझोगे
जाना नहीं है पाबंदी लेकर
मनोरंजन से ज्यादा क्या मिलेगा
जाओगे जब दिल्लगी लेकर
खजुराहो से कोई एक नहीं लौटा
रत्तीभर भी शर्मिंदगी लेकर
नग्नता में ही वहां क्या रहस्य है
कोई जाता नहीं दरिंदगी लेकर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें