सेक्स प्रेम से अलग है क्या
कहो सेक्स का क्या आशय
धरती की शुरुआत से सेक्स
और रहेगा सेक्स युग प्रलय
निसर्ग में ही सेक्स घुला है
पानी में जैसे शक्कर विलय
रहेगा युग-युगांतर तक ये
सेक्स अक्षुण्ण और अक्षय
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