कामयाब कितने प्रणयलीला
मुकम्मल कितने प्रेम-प्रसंग
कहाँ-कहाँ पर काम-क्रीड़ा
कहो साक्षी कितने रहे पलंग
जंगल-झुरमुट खेत-खलिहान
याद करो सारे दृश्य अंतरंग
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