सेक्स मंथन से कुछ रत्न निकलेगा
फिर पीना पड़ेगा हलाहल सेक्स
है संतुलित सेक्स से शांति कायम
वरना बन जाएगा कोलाहल सेक्स
हो रहा है सेक्स से सृष्टि संचालित
ये है अविनाशी, अविरल सेक्स
समझना पड़ेगा और गहराई से
कि क्या कहता है प्रिंसिपल सेक्स
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