जीवन रस का स्वांग बाहर
सांस चल रही पछताव में
यौन संसर्ग गुप्त चल रहा
कठिन सामाजिक दबाव में
इसका उससे उसका इससे
चक्कर चल रहा घुमाव में
मामला पकड़ में आ जाता है
बस किसी-किसी पड़ाव में
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें