जब कण-कण में भगवान है
फिर किस कण में शैतान है
ये हर दिन सौ-सौ बलात्कार
इंसान कर रहे कि हैवान है
भगवान देख रहा सब कुछ
वो क्यों नहीं होता परेशान है
धर्म, नीति, समाज वगैरह भी
शायद चलता-फिरता दुकान है
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