गुरुवार, 7 नवंबर 2024

सेक्स की नींव है कि हिलता नहीं

 


यौन दमन जारी है कब से मगर 

भयंकर दबाव में भी दबता नहीं 


कोशिश झुकाने की लाखों मगर 

अंधड़-तूफान में भी झुकता नहीं 


काम ऊर्जा है नियति की नेमत 

कभी हारकर घुटने टेकता नहीं 


कंगूरे पे चाहो तो पहरा बिठा दो 

सेक्स की नींव है कि हिलता नहीं

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