रोज सुबह उठ जाता हूँ मैं
करने उषा काल का ध्यान
संध्या शांति पाठ भी करता
दिल में साधना का सम्मान
आरती अर्चना पूजा वंदना
मैं छोड़ता भी नहीं मध्यान्ह
फिर से होटल पहुँच गया हूँ
करने नशा-निशा रसपान
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