शनिवार, 2 नवंबर 2024

आरती अर्चना पूजा वंदना

 


रोज सुबह उठ जाता हूँ मैं 

करने उषा काल का ध्यान 


संध्या शांति पाठ भी करता

दिल में साधना का सम्मान 


आरती अर्चना पूजा वंदना 

मैं छोड़ता भी नहीं मध्यान्ह 


फिर से होटल पहुँच गया हूँ

करने नशा-निशा रसपान  

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