कि सेक्स में पूर्ण संतुष्टि के बाद ही
बेहतर समझोगे आंतरिक आयाम
भग नहीं भोगे, जीवन से भागे तो
अटके ही रहोगे मानसिक आयाम
चरम भी पहुंचोगे, परम भी मिलेगा
माध्यम बनाओ शारीरिक आयाम
कहीं से भी शुरू करो पहुंचोगे वहीं
गहराई में उतरो दार्शनिक आयाम
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