देखने की बड़ी तमन्ना है
दुपट्टे से जो ढंके हुए
दिखा दो न इक बार प्रिये
सीताफल दो पके हुए
अपने प्रिय की प्यास बुझाओ
क्या लटके रहेंगे रखे हुए
कि चंगा होकर लौट चलूँगा
मैं आया दूर से थके हुए
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