बनते जाओगे और भी ज्ञानी
कि जितना तू अज्ञान बनेगा
यूँ ठहरे रहे तो सड़ जाओगे
कि बढ़ते रहे तो शान बनेगा
यूँ करीब होती जाएगी मंजिल
जब सफ़र बिंदु प्रस्थान बनेगा
ये बात भी ध्यान में रखना तुम
जो उदय हुआ अवसान बनेगा
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