मर्द रह जाता है मन मसोस
फरियाद करती है औरत ही
जब मर्द अपाहिज होता है
इमदाद करती है औरत ही
घर-घर में घरेलू कलह भी
ईजाद करती है औरत ही
सिमटी रहती है खुद में ही
अंतर्नाद करती है औरत ही
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