हम मर जाते अकेलेपन से
तादाद करती है औरत ही
लेडिस फर्स्ट के फेर में हमें
बाद करती है औरत ही
हम भूल जाते पेड़ लगाकर
खाद करती है औरत ही
औरत पर ही तमाम शायरी
इरशाद करती है औरत ही
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें