जिस थाली के हम चट्टे-बट्टे
है वहीं की चट्टी-बट्टी औरत
कर देगी जीवन मटियामेट
महज समझो न मट्टी औरत
बर्बाद करने पे आ जाए तो
बनती आग की भट्ठी औरत
बाहर से दिखती भले दुर्बल
है अंदर से हट्टी-कट्टी औरत
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें