ऑफिस में ही निपट लो
जब साथ दे सहकर्मी
सोलह आने सच बताओ
क्या कामातुर है अधर्मी
काम भी तो पुरुषार्थ है
नहीं कहलाओगे विधर्मी
जीवन में जरूरी यौन रस
क्यों कहलाओगे कुकर्मी
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