बुधवार, 11 दिसंबर 2024

गिद्ध नजरों से कहाँ महफूज़


दिखते हैं बाहर से हरे-भरे 

ये बड़े-बड़े दो लाल तरबूज 


मन बदला है जिसको देख

रंग बदला है देख खरबूज 


कर लो चाहे जितना जतन 

गिद्ध नजरों से कहाँ महफूज़ 


कुछ का खुद ही झांक रहा है 

संभाल नहीं पा रहा ब्लाउज़  

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