तुम्हारी इतनी दूरियों ने मुझे
मुट्ठल बना दिया
अब जूठा चाटता हूँ इधर-उधर
जुट्ठल बना दिया
आम चूसकर फेंक दो जैसे
गुट्ठल बना दिया
याद में तड़पूं और बताऊँ भी न
झुट्ठल बना दिया
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