रविवार, 15 दिसंबर 2024

मुट्ठल बना दिया

तुम्हारी इतनी दूरियों ने मुझे

मुट्ठल बना दिया 


अब जूठा चाटता हूँ इधर-उधर 

जुट्ठल बना दिया 


आम चूसकर फेंक दो जैसे 

गुट्ठल बना दिया 


याद में तड़पूं और बताऊँ भी न 

झुट्ठल बना दिया 

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