'जसलीन जलोटा' जैसा ही
जीवन साँझ ढल जाए
सैंतीस साल अंतर की कोई
मेरे पास भी आए
मुझे लगे ऐसी लागी लगन...
कि मन भजन दुहराए
मैं भी कहूँगा रंग दे चुनरिया...
कोई भी रंग जाए
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