शक्ति से भरे ये प्रबल भाव हैं
हिंदुत्व ऊर्जा इस्लाम ऊर्जा
ऊर्जा के हैं केंद्र हजारों
पूरा ये निजाम ऊर्जा
ऊर्जा बंट गया खांचों में
इंसानी फ़ितूर बदनाम ऊर्जा
तेरा क्यों हलाल है आखिर
मेरा क्यों हराम ऊर्जा
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