उर्ध्वगमन के पराकाष्ठा को
है मेरा कोटि-कोटि नमन
अधोगमन की अधिकता से भी
संयमित होगा विचलित मन
इससे ख़राब और क्या होगा
इस काम ऊर्जा का क्यों दमन
आज भले ही फन कुचल दो
कल काम आएगा कटुवचन
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें