रविवार, 3 नवंबर 2024

ठहरा हुआ है गुजरा नहीं

 


मैंने काटा था तेरी नाभि को 

नशा आज तक उतरा नहीं 


नाभि के भँवर में डूबते ही 

गहराई से बाहर उबरा नहीं 


मैंने यादें ऐसा सहेज लिया 

कि इंचमात्र भी बिखरा नहीं 


वो मंजर गुजरने के बाद भी 

ठहरा हुआ है गुजरा नहीं 

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