रविवार, 3 नवंबर 2024

सेक्स घाव भी गहन हरा है

 


कहीं ज्यादा कहीं जरा है 

हर सजीव में मैथुन भरा है


मैथुनमय संसार का साक्षी 

ऊपर आसमां नीचे धरा है 


इतना उथला मत समझो 

निसर्ग नियम बहुत गहरा है


मानव प्रेम का प्यास अनंत 

सेक्स घाव भी गहन हरा है

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें