शुक्राणु से है मानव वजूद
अस्तित्व का आधार है वीर्य
प्रयोगशाला में नहीं बनता ये
निसर्ग का उपकार है वीर्य
अपने आप में ही मनुष्य का
एक संपूर्ण आकार है वीर्य
इससे ही नवसृजन होता है
मानव का रचनाकार है वीर्य
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