कुंदन के कांटे
अनावश्यक Facebook और WhatsApp की दुनिया में घुसे पड़े लोग जो बाहर निकलना चाहते हैं वे नीचे लिखी मेरी कविता और लेख जरूर पढ़ लें...हालांकि यह मेरा भ्रम है, इससे बाहर न आप निकल सकते हैं और न मैं... हम दोनों की कुछ दिक्कतें हैं, कुछ मजबूरियां हैं, और कुछ अपनी-अपनी वजह भी.. Facebook और Whatsapp जैसी डिजिटल प्लेटफॉर्म आने के बाद बेरोजगारी पूरी तरह से मिट चुकी है। हम सबको काम मिल चुका है। हर हाथ को काम मिल चुका है। लगे रहो इंडिया Facebook और WhatsApp पर...तो मन लगाकर मेरी लेख और कविता भी पढ़ लीजिए...
मन में उधेड़बुन चल रहा है आज। कुछ कहना चाहता हूं किसी से। मगर किससे कहूं अपनी बात। अपनी धर्म पत्नी से। क्या वह मेरा उधेड़बुन सुलझा देगी। धर्म पत्नियां पतियों की बात सुलझाने वाली होतीं तो यह दुनिया इतना उलझा हुआ नहीं होता। कुछ उधेड़बुन के बीच मन को हल्का करने जेब से मोबाइल निकाला और Facebook खोल लिया। कुछ विद्वानों ने कहा है कि किताब सबसे अच्छा मित्र होता है। आजकल लोगों के लिए Facebook से अच्छा किताब कुछ हो भी नहीं सकता है। लोग 8-8 ,10-10 घंटे Facebook में बिताते हैं। Facebook किसी मर्डर मिस्ट्री उपन्यास की तरह लत देने वाली किताब से कम नहीं है।
Facebook खोला ही था कि मेरी उधेड़बुन ही छूमंतर हो गई
। देखा कि आज एक नहीं, दो नहीं, तीन-तीन अनजान महिला मित्रों का फ्रेंड रिक्वेस्ट आया है। मैं Facebook खोला बेमन से था। चाहता था 2 मिनट बाद बंद कर दूंगा। मगर अब डूबने लगा था। डुबकियां भी मारने लगा था। मैं आपको बता दूं कि घंटे 2 घंटे में Facebook और WhatsApp खोल कर देख लिया करता हूं। इसका क्या कारण हो सकता है यह अभी तक फिलहाल मुझे मालूम नहीं हो सका है। मालूम हो जाए तो जरुर बताऊंगा। आपको पहले मालूम चले तो आप मुझे Facebook पर पहले बताइएगा। एक मां अपने बच्चों की डाइपर चेक करती है बीच बीच में कहीं बच्चा पेशाब तो नहीं किया। कोई मां हगिस चेक करती है कहीं बच्चे ने पोट्टी तो नहीं कर दी। शायद कुछ ऐसा ही मैं भी बीच-बीच में अपना हगिस जैसा WhatsApp और डाइपर जैसा Facebook को चेक करते रहता हूं बिल्कुल किसी मां- बाप की तरह। मेरे दो अनमोल रतन Facebook और WhatsApp ही तो हैं।
रिक्वेस्ट आए महिला मित्रों को तुरंत कंफर्म किया। मित्र बनाया। इन्हें मित्र बनाने के 2 वजह थे। पहला वजह सनी लियोनी मेरा बेस्ट एक्ट्रेस है। दूसरी वजह अपने Facebook अकाउंट पर मित्रों की सूची को 5000 तक जल्दी-जल्दी पहुंचाना चाहता हूं। हालांकि मेरा पहला वजह बहुत बेतुका लग सकता है। मगर इसके पीछे भी कई कहानी है। जिसे और कभी शेयर करूंगा। मैंने महिला मित्रों का प्रोफाइल चेक किया। उनकी अच्छी-अच्छी तस्वीरों से खूब आंख सेंका। आंखों में चमक आ गई। कुछ लोगों का तो इस Facebook में आंख सेंकने की वजह से ही आंखों की रौशनी बढ़ चुकी है।चश्मा का नंबर भी उतर चुका है कुछ लोगों का। हालांकि बहुतों का इस Facebook की वजह से ही लगातार चश्मा का नंबर भी बढ़ रहा है। मेरी आँखों का नंबर घट रहा है या बढ़ रहा है। यह मैं ठीक से नहीं बता पाऊंगा। यह तो डॉक्टर ही ज्यादा बेहतर बता पाएंगे। हां आप भी अपना आंख चेक जरुर करवा लेना कभी जब इस Facebook से थोड़ी फुर्सत मिल जाए तो...
मैंने आज मेरी छुट्टी Facebook और WhatsApp के साथ बिता दी। कई दोस्तों से ऑनलाइन चैट कर लिया। एक और बात बता दूं सैकड़ों दोस्त मेरे टच मोबाइल के टच में है पर मेरे टच में एक भी दोस्त नहीं है। मेरे पड़ोस में मेरा एक दोस्त है जिसके साथ आज छुट्टी के दिन घूमने जाना चाहता था। मगर अफसोस इस Facebook में ही उसके पोस्ट पर मजाक से मजाकिया कमेंट कर दिया तो वह भी पिछले हफ्ते से नाराज चल रहा है।
Facebook पर डूबा ही था कि एक लिंक दिखा जिसमें लिखा था इतिहास में आपका जुड़वां कौन है। मैंने क्लिक किया तो पता चला कि इतिहास में मेरा जुड़वा नेताजी सुभाष चंद्र बोस हैं। Facebook ने बताया कि बोस जी से मेरा शक्ल मिलता-जुलता है। खुशफहमी के लिए यह बात जरा अच्छा लगा। एक और लिंक नजर आया जो कह रहा था कि मुझे क्लिक करो तुम्हारा कुछ मिनट और बर्बाद करो। मैं तुम्हें बताऊंगा कि तुम्हारा चेहरा रामायण के किस पात्र के जैसा है। क्लिक करने पर उसने बताया कि मैं साक्षात राम जैसा दिखता हूं । हमारे सभी अपने और अपनेपन डिजिटल हो चुके हैं। किसी के पास किसी की प्रशंसा करने वक्त नहीं है। इसकी प्रतिपूर्ति के लिए यह सब लिंक हमारी चाटुकारिता करता है। चाटुकारिता से याद आया मैं पत्रकार भी हूँ। वैसे चाटुकारिता शब्द से पत्रकारिता की दुनिया मुझे क्यों याद आया यह कह पाना कठिन है। कहीं अब दोनों शब्द पर्यायवाची तो नहीं हो गए हैं??? यह सवाल अमिताभ बच्चन के कौन बनेगा करोड़पति में पूछे जाने लायक अब हो चुका है। अब फेसबुक से बोर होकर व्हाट्सएप्प खोल चुका था। इसमें भी भारी ज्ञान बरसने लगा था। मैं सब ज्ञान को समेट भी नहीं पा रहा था। और इस तरह अधकचरे कूड़े ज्ञान के बीच पुनः 2 घंटे का सार्थक सदुपयोग कर लिया। बस मित्रों आज इतना ही...लगे रहो इंडिया Facebook पर, WhatsApp पर....
Facebook और WhatsApp के ज्ञानबाजी से जरा बोर हो गया था इसलिए इसके खिलाफ में कुछ लिख दिया। इस घटिया आदमी के आनन-फानन में लिखी घटिया लेख के लिए कमेंट पर दो चार सभ्य गाली जरुर दे देना। वक्त बर्बाद करने के लिए यदि 1 मिनट और बचा हो तो मेरी यह कविता जरुर पढ़ लेना...
अंजुली भर समय...
बारिश की बूंदों को
अंजुली में सहेज कर
पी सकते हैं
मगर नाली में गिरे पानी से
नहीं धो सकते पैर भी
बारिश की बूंदों की तरह
समय बरस रहा है 24 घंटे हम पर
मगर बर्बाद हो रहा है नाली में बहकर
Facebook में फिसलकर
WhatsApp में पिघलकर
जाने कहां-कहां बिखरकर
अंजुली भर तो...
सहेज लो समय साथियों
अंजुली भर समय...
आपका जीवन बदल सकता है
अंजुली भर समय...
आपका जीवन बदल सकता है
-कंचन ज्वाला कुंदन
अनावश्यक Facebook और WhatsApp की दुनिया में घुसे पड़े लोग जो बाहर निकलना चाहते हैं वे नीचे लिखी मेरी कविता और लेख जरूर पढ़ लें...हालांकि यह मेरा भ्रम है, इससे बाहर न आप निकल सकते हैं और न मैं... हम दोनों की कुछ दिक्कतें हैं, कुछ मजबूरियां हैं, और कुछ अपनी-अपनी वजह भी.. Facebook और Whatsapp जैसी डिजिटल प्लेटफॉर्म आने के बाद बेरोजगारी पूरी तरह से मिट चुकी है। हम सबको काम मिल चुका है। हर हाथ को काम मिल चुका है। लगे रहो इंडिया Facebook और WhatsApp पर...तो मन लगाकर मेरी लेख और कविता भी पढ़ लीजिए...
मन में उधेड़बुन चल रहा है आज। कुछ कहना चाहता हूं किसी से। मगर किससे कहूं अपनी बात। अपनी धर्म पत्नी से। क्या वह मेरा उधेड़बुन सुलझा देगी। धर्म पत्नियां पतियों की बात सुलझाने वाली होतीं तो यह दुनिया इतना उलझा हुआ नहीं होता। कुछ उधेड़बुन के बीच मन को हल्का करने जेब से मोबाइल निकाला और Facebook खोल लिया। कुछ विद्वानों ने कहा है कि किताब सबसे अच्छा मित्र होता है। आजकल लोगों के लिए Facebook से अच्छा किताब कुछ हो भी नहीं सकता है। लोग 8-8 ,10-10 घंटे Facebook में बिताते हैं। Facebook किसी मर्डर मिस्ट्री उपन्यास की तरह लत देने वाली किताब से कम नहीं है।
Facebook खोला ही था कि मेरी उधेड़बुन ही छूमंतर हो गई
। देखा कि आज एक नहीं, दो नहीं, तीन-तीन अनजान महिला मित्रों का फ्रेंड रिक्वेस्ट आया है। मैं Facebook खोला बेमन से था। चाहता था 2 मिनट बाद बंद कर दूंगा। मगर अब डूबने लगा था। डुबकियां भी मारने लगा था। मैं आपको बता दूं कि घंटे 2 घंटे में Facebook और WhatsApp खोल कर देख लिया करता हूं। इसका क्या कारण हो सकता है यह अभी तक फिलहाल मुझे मालूम नहीं हो सका है। मालूम हो जाए तो जरुर बताऊंगा। आपको पहले मालूम चले तो आप मुझे Facebook पर पहले बताइएगा। एक मां अपने बच्चों की डाइपर चेक करती है बीच बीच में कहीं बच्चा पेशाब तो नहीं किया। कोई मां हगिस चेक करती है कहीं बच्चे ने पोट्टी तो नहीं कर दी। शायद कुछ ऐसा ही मैं भी बीच-बीच में अपना हगिस जैसा WhatsApp और डाइपर जैसा Facebook को चेक करते रहता हूं बिल्कुल किसी मां- बाप की तरह। मेरे दो अनमोल रतन Facebook और WhatsApp ही तो हैं।
रिक्वेस्ट आए महिला मित्रों को तुरंत कंफर्म किया। मित्र बनाया। इन्हें मित्र बनाने के 2 वजह थे। पहला वजह सनी लियोनी मेरा बेस्ट एक्ट्रेस है। दूसरी वजह अपने Facebook अकाउंट पर मित्रों की सूची को 5000 तक जल्दी-जल्दी पहुंचाना चाहता हूं। हालांकि मेरा पहला वजह बहुत बेतुका लग सकता है। मगर इसके पीछे भी कई कहानी है। जिसे और कभी शेयर करूंगा। मैंने महिला मित्रों का प्रोफाइल चेक किया। उनकी अच्छी-अच्छी तस्वीरों से खूब आंख सेंका। आंखों में चमक आ गई। कुछ लोगों का तो इस Facebook में आंख सेंकने की वजह से ही आंखों की रौशनी बढ़ चुकी है।चश्मा का नंबर भी उतर चुका है कुछ लोगों का। हालांकि बहुतों का इस Facebook की वजह से ही लगातार चश्मा का नंबर भी बढ़ रहा है। मेरी आँखों का नंबर घट रहा है या बढ़ रहा है। यह मैं ठीक से नहीं बता पाऊंगा। यह तो डॉक्टर ही ज्यादा बेहतर बता पाएंगे। हां आप भी अपना आंख चेक जरुर करवा लेना कभी जब इस Facebook से थोड़ी फुर्सत मिल जाए तो...
मैंने आज मेरी छुट्टी Facebook और WhatsApp के साथ बिता दी। कई दोस्तों से ऑनलाइन चैट कर लिया। एक और बात बता दूं सैकड़ों दोस्त मेरे टच मोबाइल के टच में है पर मेरे टच में एक भी दोस्त नहीं है। मेरे पड़ोस में मेरा एक दोस्त है जिसके साथ आज छुट्टी के दिन घूमने जाना चाहता था। मगर अफसोस इस Facebook में ही उसके पोस्ट पर मजाक से मजाकिया कमेंट कर दिया तो वह भी पिछले हफ्ते से नाराज चल रहा है।
Facebook पर डूबा ही था कि एक लिंक दिखा जिसमें लिखा था इतिहास में आपका जुड़वां कौन है। मैंने क्लिक किया तो पता चला कि इतिहास में मेरा जुड़वा नेताजी सुभाष चंद्र बोस हैं। Facebook ने बताया कि बोस जी से मेरा शक्ल मिलता-जुलता है। खुशफहमी के लिए यह बात जरा अच्छा लगा। एक और लिंक नजर आया जो कह रहा था कि मुझे क्लिक करो तुम्हारा कुछ मिनट और बर्बाद करो। मैं तुम्हें बताऊंगा कि तुम्हारा चेहरा रामायण के किस पात्र के जैसा है। क्लिक करने पर उसने बताया कि मैं साक्षात राम जैसा दिखता हूं । हमारे सभी अपने और अपनेपन डिजिटल हो चुके हैं। किसी के पास किसी की प्रशंसा करने वक्त नहीं है। इसकी प्रतिपूर्ति के लिए यह सब लिंक हमारी चाटुकारिता करता है। चाटुकारिता से याद आया मैं पत्रकार भी हूँ। वैसे चाटुकारिता शब्द से पत्रकारिता की दुनिया मुझे क्यों याद आया यह कह पाना कठिन है। कहीं अब दोनों शब्द पर्यायवाची तो नहीं हो गए हैं??? यह सवाल अमिताभ बच्चन के कौन बनेगा करोड़पति में पूछे जाने लायक अब हो चुका है। अब फेसबुक से बोर होकर व्हाट्सएप्प खोल चुका था। इसमें भी भारी ज्ञान बरसने लगा था। मैं सब ज्ञान को समेट भी नहीं पा रहा था। और इस तरह अधकचरे कूड़े ज्ञान के बीच पुनः 2 घंटे का सार्थक सदुपयोग कर लिया। बस मित्रों आज इतना ही...लगे रहो इंडिया Facebook पर, WhatsApp पर....
Facebook और WhatsApp के ज्ञानबाजी से जरा बोर हो गया था इसलिए इसके खिलाफ में कुछ लिख दिया। इस घटिया आदमी के आनन-फानन में लिखी घटिया लेख के लिए कमेंट पर दो चार सभ्य गाली जरुर दे देना। वक्त बर्बाद करने के लिए यदि 1 मिनट और बचा हो तो मेरी यह कविता जरुर पढ़ लेना...
अंजुली भर समय...
बारिश की बूंदों को
अंजुली में सहेज कर
पी सकते हैं
मगर नाली में गिरे पानी से
नहीं धो सकते पैर भी
बारिश की बूंदों की तरह
समय बरस रहा है 24 घंटे हम पर
मगर बर्बाद हो रहा है नाली में बहकर
Facebook में फिसलकर
WhatsApp में पिघलकर
जाने कहां-कहां बिखरकर
अंजुली भर तो...
सहेज लो समय साथियों
अंजुली भर समय...
आपका जीवन बदल सकता है
अंजुली भर समय...
आपका जीवन बदल सकता है
-कंचन ज्वाला कुंदन
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