अप्रैल फूल की शुभकामनाएं
हम रोज मूर्ख बन जाते हैं
या रोज मूर्ख बनाते हैं
पूरे-पूरे साल भर
हम अप्रैल फूल मनाते हैं
आज सब्जी वाले ने तौला सौ ग्राम कम
हमें रत्ती भर भी नहीं इस बात का गम
कल पुलिस वाले ने कहा-
आपके माथे पर C लिखा है क्या
हमने कहा-लिखा होगा साहब!
आज देखे नहीं थे आईना
हमसे हो गई भूल
परसों अखबार के विज्ञापन ने
बनाया था अप्रैल फूल
तब भी हमने खुद को कहा-
डोंट माइंड....बेटा! कूल
टीवी में नेताजी का हम भाषण सुन रहे थे
वो भी झोंक रहे थे सबके आँखों में धूल
तभी दन्न से साला बिजली हो गया गूल
उसने भी कह दिया हैप्पी अप्रैल फूल
चुनावी सीजन में हमने
कई पार्टी से लिया था नोट
और नोटा दबाके आ गए
किसी को नहीं दिया वोट
तेरे मन में खोट तो मेरे मन में खोट
तुमने पहुँचाया चोट तो हमने भी दिया चोट
सौ आने सच है, नहीं जरा भी झूठ
शिक्षा तंत्र में पालकों से रोज-रोज की लूट
खाली हो गया जेब, पूरा नहीं हुआ इलाज
मेरी बूढ़ी माँ का डॉक्टर ने, डिस्चार्च कर दिया आज
चोरी का रिपोर्ट भी अब तो
नहीं लिखता थानेदार
हम भी अप्रैल फूल
और अप्रैल फूल सरकार
रोज लगाकर सोते हैं
हम तो 'झंडुबाम'
लोकतंत्र के डकैत से
साला जीना हो गया हराम
-कंचन ज्वाला 'कुंदन'
97525-97297
हम सब मूर्खों को एक दूसरे की ओर से ढेर सारी शुभकामनाएं।।।हम ऐसे ही दिन दूनी, रात चौगुनी फलें- 'फूलें' और आगे बढ़ें।।।
हम रोज मूर्ख बन जाते हैं
या रोज मूर्ख बनाते हैं
पूरे-पूरे साल भर
हम अप्रैल फूल मनाते हैं
आज सब्जी वाले ने तौला सौ ग्राम कम
हमें रत्ती भर भी नहीं इस बात का गम
कल पुलिस वाले ने कहा-
आपके माथे पर C लिखा है क्या
हमने कहा-लिखा होगा साहब!
आज देखे नहीं थे आईना
हमसे हो गई भूल
परसों अखबार के विज्ञापन ने
बनाया था अप्रैल फूल
तब भी हमने खुद को कहा-
डोंट माइंड....बेटा! कूल
टीवी में नेताजी का हम भाषण सुन रहे थे
वो भी झोंक रहे थे सबके आँखों में धूल
तभी दन्न से साला बिजली हो गया गूल
उसने भी कह दिया हैप्पी अप्रैल फूल
चुनावी सीजन में हमने
कई पार्टी से लिया था नोट
और नोटा दबाके आ गए
किसी को नहीं दिया वोट
तेरे मन में खोट तो मेरे मन में खोट
तुमने पहुँचाया चोट तो हमने भी दिया चोट
सौ आने सच है, नहीं जरा भी झूठ
शिक्षा तंत्र में पालकों से रोज-रोज की लूट
खाली हो गया जेब, पूरा नहीं हुआ इलाज
मेरी बूढ़ी माँ का डॉक्टर ने, डिस्चार्च कर दिया आज
चोरी का रिपोर्ट भी अब तो
नहीं लिखता थानेदार
हम भी अप्रैल फूल
और अप्रैल फूल सरकार
रोज लगाकर सोते हैं
हम तो 'झंडुबाम'
लोकतंत्र के डकैत से
साला जीना हो गया हराम
-कंचन ज्वाला 'कुंदन'
97525-97297
हम सब मूर्खों को एक दूसरे की ओर से ढेर सारी शुभकामनाएं।।।हम ऐसे ही दिन दूनी, रात चौगुनी फलें- 'फूलें' और आगे बढ़ें।।।
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