रविवार, 2 सितंबर 2018

परेम के पचरा म झन परबे ग...

परेम के पचरा म झन परबे ग...
दू डोंगा के सवारी के भइया झन करबे ग...

कर डारे बिहा त खुस र सुवारी संग
अपन बारी-बिरता अपन दुवारी संग
लकरी कस कट जा भले चाहे आरी संग
टुरी सुघ्घर परोसी बर झन मरबे ग....। दू डोंगा के सवारी...

न ऐती के होबे न ओती के होबे
मुड़ी नवाके घूंट-घूंट के रोबे
जांता म दराके जिनगी ल खोबे
जरे सीते आगी ल झन धरबे ग....। परेम के पचरा म....

तैं बड़े भइया तोरे जोहार
कहना ल मान मैं करंव गोहार
फोकटे-फोकट म मत हो खोहार
जड़कल्ला के भूर्री कस झन बरबे ग....। दू डोंगा के सवारी...

रोज-रोज घर म झगरा झन मताबे
दारू घलो ल हाथ झन लगाबे
इज्जत के धनिया बोके झन आबे
घोलहा नरियर कस भइया तैं झन सरबे ग.....। परेम के पचरा म...

- कंचन ज्वाला 'कुंदन'

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