रविवार, 2 सितंबर 2018

मौत के मुहाने पर हूं आपसे क्या छुपाऊं...

दर्द कितना है क्या बताऊं
अंदर के खालीपन को क्या दिखाऊं

दर्द से पशोपेश में हूं इतना कि
दर्द कभी याद रहे कभी भूल जाऊं

सोचता हूं कहीं जाहिर कर दूं ये दर्द
मगर ये दर्द नहीं गर्द है क्या बताऊं

ये मेरी खामोशी है या घुटन नहीं जानता
मैं ही नहीं जानता आपसे क्या जताऊं

जमा हो रहा है मेरे अंदर ये बारूद की तरह
मौत के मुहाने पर हूं आपसे क्या छुपाऊं

- कंचन ज्वाला कुंदन 

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