बुधवार, 19 सितंबर 2018

क्यों मेरा मंदिर है, क्यों तेरा मस्जिद है...

अलग क्यों दिवाली है, अलग क्यों ईद है
क्यों मेरा मंदिर है, क्यों तेरा मस्जिद है
गीता-कुरान की लड़ाई का
कई खंडहर चश्मदीद है
कुल मिलाकर देखो तो इंसान ही मर रहे
लड़ने की जिद छोडो तो शांति की उम्मीद है
कोई तो लगा है हमें उकसाने में, फंसाने में
मेरा खून लाल तुम्हारा खून हरा बताने में
इंसानियत से नाता जोड़ो
अंधे धरम का कुचक्र तोड़ो
अगर तुम्हारे अंदर यह हौसला है
कुछ नहीं सब चोचला है
धरम का धंधा तो सबसे बड़ा ढकोसला है
दर लगा है कहीं दरबार लगा है
इसे बढ़ाने में पूरा सरकार लगा है
मजहबी मामले को तूल देने में
लगातार टीवी-अखबार लगा है
लोग कह रहे हैं देश बदल रहा है
मजहबी द्वेष धूं-धूं जल रहा है
हमें धर्म की पट्टी कौन पढ़ाता है
दो दिलों में दूरियां कौन बढ़ाता है
पूरा का पूरा सिस्टम ही खोखला है
कुछ नहीं सब चोचला है
धरम का धंधा सबसे बड़ा ढकोसला है
लोगों के मन में डर बिठाकर
चला रहे कारखाना
इसके ही वजह से मिल गया है
लोगों को बांटने का बहाना
हिंदू का मुर्दे को जलाना
मुस्लिम का मुर्दे को दफनाना
अलग-अलग रहने का
क्या गजब बहाना
बस इतनी-सी बात है
घोंसला है तो चिड़िया है
चिड़िया है तो घोंसला है
कुछ नहीं सब चोचला है
धरम का धंधा तो सबसे बड़ा ढकोसला है

- कंचन ज्वाला कुंदन 

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