रविवार, 23 सितंबर 2018

मुक्तक...

मुक्तक - 01
पुरानी मोहब्बत का कसक सीने में उठेगा
उसकी याद का अंकुर जब दिल में फूटेगा
हकीकत ख़तम अब सिर्फ एक एहसास है बाकी
ये मालूम होगा तुझको जब तेरा ये नींद टूटेगा

मुक्तक - 02
जिसकी तारीफ करता था हुआ क्या उस कहानी का
लगता है जिस्म ही निकली एहसास रूहानी का
आंसू बहा चुपके से करले याद भी मंजूर
मगर चर्चा नहीं करना कभी किस्सा पुरानी का

मुक्तक - 03
ये चाहता हूँ मैं चला जाऊं कहीं वन को
फिर क्यों ठिठक जाता हूँ रोककर मन को
हासिल नहीं होना यहाँ कुछ भी आखिर तो
मैं कर रहा बर्बाद क्यों अपने जीवन को

- कंचन ज्वाला कुंदन

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