मुझे मीठा झूठ बोलना आता ही नहीं
लोगों को कडुवा सच भाता ही नहीं
जब मैंने ख़ामोशी की लिबास ओढ़ ली
अब चाहने पर भी कुछ बोल पाता ही नहीं
- कंचन ज्वाला कुंदन
कुछ शख्सियतों की चर्चा में
अपनी भी कुछ बात चले
मेरी जरूरत उन्हें महसूस हो
कुछ ऐसा उनका साँस चले
सांसें अंतिम तक मेरा यही कहना है
मुझे मरके भी जिंदा रहना है
ख्वाहिश एक ही यही तमन्ना है
मुझे मरके भी जिंदा रहना है
लोगों के दिलों में छाप रहे
पक्का रहे अपने आप रहे
करना सच है ये ख्वाब कुंदन
भूलना नहीं यह याद रहे
यादें लेकर कुछ यादों संग बहना है
मुझे मरके भी जिंदा रहना है
ख्वाहिश एक ही यही तमन्ना है
मुझे मरके भी जिंदा रहना है
चाहता हूं कोई याद कर ले
भींच मुट्ठी याद भरले
अमीरी न सही टूटा खाट सही
मेरी याद मगर ठाट-बाट कर ले
मेरे लिए सबसे बड़ी यही गहना है
मुझे मरके भी जिंदा रहना है
ख्वाहिश एक ही यही तमन्ना है
मुझे मरके भी जिंदा रहना है
- कंचन ज्वाला कुंदन
अगर तू खुद ना चाहे तो खुदा कुछ कर नहीं सकतातेरी बदरंग जीवन में नया रंग भर नहीं सकता
अगर तू ही न चाहे तो कोई कुदरत भी तुझ पर
कोशिश लाख करे लेकिन करिश्मा कर नहीं सकता
संघर्ष करने का हुनर तू सीख ले प्यारे
डरावनी राहों में भी तब तू डर नहीं सकता
रौशन नाम करने का जुनूं एक पाल भी कुंदन
बस कर लिया इतना कभी तू मर नहीं सकता
- कंचन ज्वाला कुंदन
अखबार को बेआबरू औरत मानता हूं मैं
हां यह दो रुपए में बिकता है जानता हूं मैं
मेरे शहर की हर घटना की नुमाइश करती है ये
मगर अधनंगी औरत है इसे पहचानता हूं मैं
लोगों को शौक है इसके बदन को खुली देखने का
पर ये कभी पूरी बदन नहीं खोलेगी मानता हूं मैं
कभी 'इसके' हाथों कभी 'उसके' हाथों बिकती रहेगी
अरे ये चीज ही बिकाऊ है जानता हूं मैं
हां ये कभी आजादी के लिए कूद पड़ी थी मेरे साथ
पहले चंडी थी आज रंडी है पहचानता हूं मैं
- कंचन ज्वाला कुंदन