गाहें-बगाहें कोई बवाल कर दो
कमर जो टेढ़ी है सीधी नाल कर दो
हाथ उठाओ ऊपर मशाल धर दो
फिर निकल पड़ो जिधर निकलना है तुम्हें
लोग वाह-वाह कहें ऐसा कमाल कर दो
हर-एक कदम एक चिराग बनके उभरे
ऐसा दोस्तों कुछ धमाल कर दो
लोगों का सरेराह सर चकरा जाये
जुबाँ जो खोलो वो सवाल कर दो
नेताओं के नियत पे 'कुंदन' को क्रोध है
गाहें-बगाहें कोई बवाल कर दो
- कंचन ज्वाला 'कुंदन'
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