शनिवार, 17 सितंबर 2016

तुम मर जाओ तुम्हारी अंजाम यहीं है

तुम मर जाओ तुम्हारी अंजाम यहीं है


तुम मर जाओ तुम्हारी अंजाम यहीं है

अगर दिल में कोई इंतकाम नहीं है


हरेक की जिंदगी किसी मौत का बदला है

जन्म जो मिला है इनाम नहीं है


एहसास रखो सर पे नफरत रखो दिल में

ये दुनिया दुलराने का नाम नहीं है


त्रेता में सीताहरण द्वापर में चीरहरण

कलियुग के आचरण में राम नहीं है


'कुंदन' जीवन झोंक दो बीज-बीज रोप दो

क्या मिलेगा क्या फलेगा ये सोचना तेरा काम नहीं है


                                                                             - कंचन ज्वाला 'कुंदन'

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