तुम मर जाओ तुम्हारी अंजाम यहीं है
तुम मर जाओ तुम्हारी अंजाम यहीं है
तुम मर जाओ तुम्हारी अंजाम यहीं है
अगर दिल में कोई इंतकाम नहीं है
हरेक की जिंदगी किसी मौत का बदला है
जन्म जो मिला है इनाम नहीं है
एहसास रखो सर पे नफरत रखो दिल में
ये दुनिया दुलराने का नाम नहीं है
त्रेता में सीताहरण द्वापर में चीरहरण
कलियुग के आचरण में राम नहीं है
'कुंदन' जीवन झोंक दो बीज-बीज रोप दो
क्या मिलेगा क्या फलेगा ये सोचना तेरा काम नहीं है
- कंचन ज्वाला 'कुंदन'
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