शनिवार, 17 सितंबर 2016

दिन मसीहा-सा मददगार होगा उस तरह

दिन मसीहा-सा मददगार होगा उस तरह


गुल गुलशन में गुलजार होगा जिस तरह

दर्द ए-गम में गजल बहार होगा उस तरह


मुये का सनम से प्यार होगा जिस तरह

उए अंदाज में इनकार होगा उस तरह


जीत में जश्ने-बहार होगा जिस तरह

हार से हस्रे सरोकार होगा उस तरह


दिल का खुशियों में दरकार होगा जिस तरह

ग़मों का सामना भी साकार होगा उस तरह


तेज धूप सर पे सवार होगा जिस तरह

उतना ही छांव तलबगार होगा उस तरह


रात यदि डर का गुबार होगा जिस तरह

दिन मसीहा-सा मददगार होगा उस तरह


                                                                 -कंचन ज्वाला 'कुंदन'


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