मंगलवार, 20 सितंबर 2016

सीना छिल जाये ऐसा कि बात कहिये

सीना छिल जाये ऐसा कि  बात कहिये


गुलशन खिल जाये ऐसा कि बात कहिये

खुशियां मिल जाये ऐसा कि बात कहिये


लोग उंगलियां उठाते फिर रहे हैं तुम्हारी दामन में

जुबाँ सील जाये ऐसा कि बात कहिये


लोग हंसते फिर रहे हैं तुम्हें देख-देखकर

आँखें गिल जाये ऐसा कि बात कहिये


हौसले बढ़ रहे हैं लोगों के तुम्हारी ख़ामोशी से

सीना छिल जाये ऐसा कि बात कहिये


लोग सन्न रह जाये सन्नाटा छा जाये

जिगर हिल जाये ऐसा कि बात कहिये


आँखें गिलना = नम होना
(शब्द का नया प्रयोग)

                                                         - कंचन ज्वाला 'कुंदन'

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