सीना छिल जाये ऐसा कि बात कहिये
गुलशन खिल जाये ऐसा कि बात कहिये
खुशियां मिल जाये ऐसा कि बात कहिये
लोग उंगलियां उठाते फिर रहे हैं तुम्हारी दामन में
जुबाँ सील जाये ऐसा कि बात कहिये
लोग हंसते फिर रहे हैं तुम्हें देख-देखकर
आँखें गिल जाये ऐसा कि बात कहिये
हौसले बढ़ रहे हैं लोगों के तुम्हारी ख़ामोशी से
सीना छिल जाये ऐसा कि बात कहिये
लोग सन्न रह जाये सन्नाटा छा जाये
जिगर हिल जाये ऐसा कि बात कहिये
आँखें गिलना = नम होना
(शब्द का नया प्रयोग)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें