बेकार ही दोहराते हो अनेकता में एकता है
अरे कौन कहता है ये भारत की विशेषता है
अरे कौन कहता है ये भारत की विशेषता है
इक्कीसवीं सदी में भी जाति-धर्म की लड़ाई
कड़वा सच यही है ये भारत की कुरूपता है
कड़वा सच यही है ये भारत की कुरूपता है
यहाँ पर गाय दूध कम वोट ज्यादा देती है
बताओ ये बात तुम्हें बिल्कुल नहीं चुभता है
बताओ ये बात तुम्हें बिल्कुल नहीं चुभता है
अमीर भारत गरीब भारत कहते हो एक है
ये दोनों अलग-अलग है ये साफ़ दिखता है
ये दोनों अलग-अलग है ये साफ़ दिखता है
हम एक हैं तो आये दिन दंगे क्यों, पंगे क्यों
कोरा अफवाह है ये भारत की विविधता है
कोरा अफवाह है ये भारत की विविधता है
- कंचन ज्वाला कुंदन
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें