गनीमत है खाई नहीं थी कसम उसने
अच्छा है वापस खींच ली कदम उसने
अच्छा है वापस खींच ली कदम उसने
हाँ मैं बच गया मकड़जाल में फंसने से
मुझे छोड़कर की है मुझपे रहम उसने
मुझे छोड़कर की है मुझपे रहम उसने
उसी ने उलझाया उसके बाद आखिर में
उलझन धीरे-धीरे की है फिर कम उसने
उलझन धीरे-धीरे की है फिर कम उसने
मैं संभालकर रखूंगा, सहेजकर रखूंगा
मुझे जितना भी दी सफर में गम उसने
मुझे जितना भी दी सफर में गम उसने
अरे छोड़ो भी कुंदन उसे जाने दो यार
किसी और को चुन ली है हमदम उसने
किसी और को चुन ली है हमदम उसने
- कंचन ज्वाला कुंदन
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