रविवार, 16 फ़रवरी 2020

मैं सोचता ही गलत था कि सीधी उंगली डाला जाए, सीधी उंगली से नहीं घी टेढ़ी उंगली से निकाला जाए...

मैं सोचता ही गलत था कि सीधी उंगली डाला जाए
सीधी उंगली से नहीं घी टेढ़ी उंगली से निकाला जाए

मेरा भ्रम था कि मेहनत से कुछ मुकाम हासिल होगा
अब सोचता हूं मुगालता बिल्कुल भी नहीं पाला जाए

बहुत कर लिया बेवकूफी मैंने तब जाकर समझ आया
जरा भी संवेदना नहीं विचारों को क्रूरता में ढाला जाए

नियम तो केवल एक है और शाश्वत है हर दफ्तरों का
जो बोझिल है पहले से उस पर और बोझ डाला जाए

गोरे अंग्रेजों के अवैध संतान बन बैठे हैं मालिक जब
सोच तो वही है शोषण का कहो बात कैसे टाला जाए

- कंचन ज्वाला कुंदन

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