शुक्रवार, 6 मार्च 2020

उसी ने कहा सफर के लिए तैयार हूँ चलो, फिर अंजाम का ख़्याल आते ही डर गई...

बंदिशों के बावजूद भी मुझ पर मर गई
थोड़ी आजादी क्या मिली प्यार कर गई

उसी ने कहा सफर के लिए तैयार हूँ चलो
फिर अंजाम का ख़्याल आते ही डर गई

मैं अधूरे मिलन पर आवारा हूँ आज भी
वो चेहरे पर कुछ पोतकर निखर गई

मैं खुद को समेटने में लगा हूँ अब तक
मेरी सारी उम्मीदें अचानक बिखर गई

- कंचन ज्वाला कुंदन

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें