बंदिशों के बावजूद भी मुझ पर मर गई
थोड़ी आजादी क्या मिली प्यार कर गई
थोड़ी आजादी क्या मिली प्यार कर गई
उसी ने कहा सफर के लिए तैयार हूँ चलो
फिर अंजाम का ख़्याल आते ही डर गई
फिर अंजाम का ख़्याल आते ही डर गई
मैं अधूरे मिलन पर आवारा हूँ आज भी
वो चेहरे पर कुछ पोतकर निखर गई
वो चेहरे पर कुछ पोतकर निखर गई
मैं खुद को समेटने में लगा हूँ अब तक
मेरी सारी उम्मीदें अचानक बिखर गई
मेरी सारी उम्मीदें अचानक बिखर गई
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