शुक्रवार, 20 मार्च 2020

वो आबरू है फ़क़त कोई तमाशा नहीं, तू छीन करके ले लेगा ये दम है क्या...

और क्या चाहिए था कुछ गम है क्या
जितना भी मिला उतना कम है क्या
वो आबरू है फ़क़त कोई तमाशा नहीं
तू छीन करके ले लेगा ये दम है क्या
उसने जो दिया तू उतना ही मंजूर कर
उसकी पप्पी-वप्पी भी रहम है क्या
तू उसकी चाहत का पूरा सम्मान कर
लगता है तेरे मन में कुछ वहम है क्या
वो मिलने का पल था या बिछड़ने का
लो देखो मेरी आँखें जरा नम है क्या
रिलैक्स हो जा कुंदन कोई बात नहीं
कल का थोड़ा बचा हुआ रम है क्या
- कंचन ज्वाला कुंदन

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