सोमवार, 16 मार्च 2020

यूँ रात-रात जागना और लंबी-लंबी बातें वहीं, समय खोने पर भी लगता है कुछ पाने जैसा

मेरी दूसरी मोहब्बत का नाम है पुराने जैसा
मैं फिर हो गया हूँ दीवाना वही दीवाने जैसा
यूँ रात-रात जागना और लंबी-लंबी बातें वही
समय खोने पर भी लगता है कुछ पाने जैसा
कभी कुछ भूल जाना, कभी कुछ छूट जाना
हो रहा है लगभग वही बीते अफसाने जैसा
महसूस कर रहा हूँ नए तरानों से ऐसा कि
दिल के तड़प में भी ख़ुशी से इतराने जैसा
चलो जी लेते हैं इस नए मोहब्बत को भी
अरे अंजाम तो वही होगा चोट खाने जैसा
- कंचन ज्वाला कुंदन

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