अरे कोई तो बता दो ये मोहब्बत क्या है
उसे रोज याद करता हूँ ये आदत क्या है
उसे रोज याद करता हूँ ये आदत क्या है
वो भूल गई होगी मुझे भूल जाना चाहिए
यूँ याद में तड़पने की मेरी चाहत क्या है
यूँ याद में तड़पने की मेरी चाहत क्या है
कभी बंद कमरे के मायने तलाशता हूँ
कभी खोजता हूँ ये खुली छत क्या है
कभी खोजता हूँ ये खुली छत क्या है
मैं काला क्यों करता हूँ रोज-रोज पन्ने
उसे लिखने की इतनी जरूरत क्या है
उसे लिखने की इतनी जरूरत क्या है
मैं जानता हूँ कुंदन इसे तूने बिगाड़ा है
अब तू ही सुधार ये तेरी सोहबत क्या है
अब तू ही सुधार ये तेरी सोहबत क्या है
- कंचन ज्वाला कुंदन
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें