मैं संभलने की उम्र में जब फिसल गया
तब अंजाम क्या होता है पता चल गया
तब अंजाम क्या होता है पता चल गया
याद करने में मेरा कल भी हुआ बर्बाद
देखो आज की शाम भी यूँ निकल गया
देखो आज की शाम भी यूँ निकल गया
खोया रहा उसकी यादों में नदी किनारे
पहले की तरह आज भी सूरज ढल गया
पहले की तरह आज भी सूरज ढल गया
अफ़सोस है मुझे उसके बदल जाने पर
कमबख्त मैं भी तो कितना बदल गया
कमबख्त मैं भी तो कितना बदल गया
तू सहेज ले कुंदन बचे कीमती पलों को
उसे छोड़ दे यार जो पल गया जल गया
उसे छोड़ दे यार जो पल गया जल गया
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