मंगलवार, 17 मार्च 2020

मैं जागकर बेचैन हूँ सारी-सारी रात, तुम्हें चैन से सोकर सिर्फ ख्वाब चाहिए...

तुम्हें अपनी नींद का पूरा हिसाब चाहिए
मैं क्यों जाग रहा हूँ मुझे जवाब चाहिए
मैं जागकर बेचैन हूँ सारी-सारी रात
तुम्हें चैन से सोकर सिर्फ ख्वाब चाहिए
आखिर ये कैसा प्यार करती हो मुझसे तुम
मैं चाहता हूँ सूरज तुम्हें महताब चाहिए
ऐसा लगता है दर्द की दुकां ही खोल लूँ
बैठकर बेचता रहूँगा जिसे अज़ाब चाहिए
घुटकर नहीं अब डूबकर मरूँगा कुंदन
इन आँखों में आंसुओं का सैलाब चाहिए
- कंचन ज्वाला कुंदन

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