मोह रूपी चने को
जला डालो
ज्ञान रूपी अग्नि में
तपा डालो
फिर कभी न उगेगी
कभी न जनेगी
चाहे जितना भी
खपा डालो
यहीं एक तरीका है
बंधन से छूटने का
जीवन- मरण के चक्र से
स्वतः ऊपर उठने का
_ कंचन ज्वाला 'कुंदन'
जला डालो
ज्ञान रूपी अग्नि में
तपा डालो
फिर कभी न उगेगी
कभी न जनेगी
चाहे जितना भी
खपा डालो
यहीं एक तरीका है
बंधन से छूटने का
जीवन- मरण के चक्र से
स्वतः ऊपर उठने का
_ कंचन ज्वाला 'कुंदन'
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