कितना किया कोशिश
पर बच न सका
काम- क्रोध लोभ और मोह से
अहंकार- ईर्ष्या, विछोह से
लड़ता रहा बनाकर बहाना
पंथ- प्रान्त, भाषा- वेश को
भुला न सका पल भर
मद- मत्सर, राग- द्वेष को
जलता रहा काम में
अग्नि से तेज
किन्तु होता रहा सदा
अपना चेहरा निस्तेज
मरता रहा क्रोध के कारण
लोभ ने गिराया शत बार अकारण
मोह ने मोहकर बनाया संसारी
काटता रहा बद की बट्टा, बनकर पंसारी
यूँ ही उम्रभर
मानवी जीवन खोता रहा
इस चक्र में फंसकर
तकलीफ सदा ढोता रहा
- कंचन ज्वाला 'कुंदन'
पर बच न सका
काम- क्रोध लोभ और मोह से
अहंकार- ईर्ष्या, विछोह से
लड़ता रहा बनाकर बहाना
पंथ- प्रान्त, भाषा- वेश को
भुला न सका पल भर
मद- मत्सर, राग- द्वेष को
जलता रहा काम में
अग्नि से तेज
किन्तु होता रहा सदा
अपना चेहरा निस्तेज
मरता रहा क्रोध के कारण
लोभ ने गिराया शत बार अकारण
मोह ने मोहकर बनाया संसारी
काटता रहा बद की बट्टा, बनकर पंसारी
यूँ ही उम्रभर
मानवी जीवन खोता रहा
इस चक्र में फंसकर
तकलीफ सदा ढोता रहा
- कंचन ज्वाला 'कुंदन'
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