तुम सचमुच में चाहते हो अमन तो वापस गांव चल दो
इस दुनिया में नहीं है अमन का शहर कोई
काँटों का, अंधेरों का और भी बहुत डर है सफर में
ये जान लो की बिना डर का नहीं डगर कोई
लड़खड़ाने का दौर चलता है हरेक की जिंदगी में
टूट जाते हैं बहुत लोग संभल नहीं पाता है हर कोई
भटकने का दौर अक्सर होता ही ऐसा है
कोई हो जाता है बेघर , पहुँच जाता है अपना घर कोई
तुम्हारा भी नाम फलक पर सितारा बनकर चमके
अरे! तू भी तो 'कुंदन', काम ऐसा कर कोई
- कंचन ज्वाला 'कुंदन'
इस दुनिया में नहीं है अमन का शहर कोई
काँटों का, अंधेरों का और भी बहुत डर है सफर में
ये जान लो की बिना डर का नहीं डगर कोई
लड़खड़ाने का दौर चलता है हरेक की जिंदगी में
टूट जाते हैं बहुत लोग संभल नहीं पाता है हर कोई
भटकने का दौर अक्सर होता ही ऐसा है
कोई हो जाता है बेघर , पहुँच जाता है अपना घर कोई
तुम्हारा भी नाम फलक पर सितारा बनकर चमके
अरे! तू भी तो 'कुंदन', काम ऐसा कर कोई
- कंचन ज्वाला 'कुंदन'
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